वृंदावन. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने रविवार को वृंदावन क्षेत्र में चंद्रोदय मंदिर के गर्भगृह का शिलान्यास किया। यह जमीन से करीब 15 मीटर ऊंचा है। यह मंदिर कुतुबमीनार से तीन गुना ऊंचा बनेगा। इसके निर्माण की शुरुआत जन्माष्टमी के दिन की गई थी। कुतुबमीनार की ऊंचाई 72.5 मीटर है जबकि तय योजना के मुताबिक मंदिर की ऊंचाई 210 मीटर होगी। निर्माण कार्य पूरा होने के बाद यह दुनिया में भगवान कृष्ण का सबसे ऊंचा मंदिर होगा। यहां की चोटी से आगरा स्थित ताजमहल का दीदार भी किया जा सकेगा।
बीते जन्माष्टमी को छटीकारा रोड स्थित अक्षय पात्र परिसर से स्थल पर ब्रज के संत शरणानंद और मथुरा की सांसद हेमा मालिनी की मौजदूगी में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ था। इसके निर्माण के लिए सतह से नीचे खुदाई करके 1.2 मीटर व्यास के करीब 60 मीटर (20 मंजिला इमारत के बराबर) गहरे 500 पिलर बनाए जाएंगे।
उस मौके पर संत शरणानंद ने कहा था कि इसमें इस्तेमाल होने वाली निर्माण सामग्री, वास्तु शिल्प से लेकर हर चीज इतनी अनूठी बनाई जाए कि दुनिया के बड़े-बड़े विशेषज्ञों को भी यह चमत्कृत कर दे। सांसद हेमा मालिनी ने कहा था कि दुनियाभर के इस्कॉन मंदिरों में विग्रहों का श्रृंगार उन्हें सदा ही आकर्षित करता है। उन्होंने मंदिर प्रबंधकों से कार पार्किंग के लिए विशेष व्यवस्था की बात कही थी।
क्या है मंदिर की परिकल्पना
वृंदावन में यूं तो सात हजार के आसपास मंदिर हैं, लेकिन चंद्रोदय की परिकल्पना थोड़ी अलग है। इसकी परिकल्पना साल1975 में श्रील प्रभुपाद द्वारा वृंदावन के प्राचीन राधादामोदर मंदिर में की गई थी। अब 39 वर्ष के बाद यह अक्षयपात्र में साकार होने जा रही है। जानकारों की मानें तो चैतन्य महाप्रभु ने आज से पांच सौ वर्ष पहले वृंदावन को खोजा था।
इसके बाद श्रील प्रभुपाद ने महामंत्र हरेकृष्ण-हरेकृष्ण के जरिए देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी कृष्ण भक्ति को पहुंचाया। उन्हीं की परिकल्पना थी कि प्रभु कृष्ण के लीला धाम वृंदावन में एक ऐसे मंदिर का निर्माण होना चाहिए जो कि स्काईस्क्रैपर (गगनचुंभी) हो। उन्होंने मंदिर बनाने की कल्पना को वृंदावन में घूमते समय प्राचीन राधा दामोदर मंदिर में उजागर किया था।
वृंदावन की तर्ज पर विकसित होगा चंद्रोदय मंदिर
वृंदावन की तर्ज पर विकसित होगा चंद्रोदय मंदिर
इस मंदिर के निर्माण में विदेशी आर्किटेक्चर के साथ-साथ डिज्नी लैंड की मॉडर्न तकनीक प्रयोग की गई है। इसकी भव्यता बढ़ाने के लिए चारों ओर की पांच एकड़ जमीन में ऐसा वन बनाया जाएगा जो बृजभूमि के ही समान होगा। यहां दूर-दूर से आने वाले भक्त राधा-कृष्ण के समय के 12 वन, उपवन, यमुना नदी और सभी लोकों समेत वेद परंपराओं का अद्भुत दर्शन कर सकेंगे। इसके मुख्य हिस्से में हॉल, कृष्णा हेरिटेज म्यूजियम, वाचनालय और कृष्ण लीला पार्क का विकास किया जाएगा। यहां डिज्नीलैंड की तर्ज पर आधुनिक तकनीक से एनीमेशन के जरिए कृष्ण लीलाओं का दर्शन होगा। सबसे ऊपर गौलोक होगा।
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